◆{{◆ तारो का मजमा ◆}}◆
दिल भी कितना दीवाना सा लगता है,
अब तेरे ख्याल से भी डर सा लगता है,
अब तन्हाइयों का खौफ़ नही मेरे दिल को,
महफ़िल में तन्हा होना भी अच्छा लगता है,
कभी हम तेरे दिल के इकलौते दावेदार होते थे,
आज तेरे दिल में तस्वीर बदला हुआ लगता है,
रोते-रोते जाने कितने सहर देखी है हमने,
और तुम्हे मेरा हर आँसू बस तमाशा लगता है,
एक तेरी चाहत की खातिर हम नीलम हो गए,
बिता हर लम्हा आज तुझे रुसवा सा लगता है,
मैंने लफ़्ज़ों से तेरी हर तस्वीर बनाई है,
लेकिन आज हर हर्फ़ बिखरा-बिखरा लगता है,
तेरे तसव्वुर का नशा चढ़ा रहता है चारो पहर मुझपर,
तेरी याद का ज़हर भी मुझे शिरा सा लगता है,
कितनी दुआएं मांगी है मैंने एक तेरे वास्ते, आ कर देखो ज़रा,
मेरे दामन में मन्नतों के तारो का मजमा सा लगता है,