Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2020 · 2 min read

~~◆◆【{{●●फितरत●●}}】◆◆~~

बंजारों सी फितरत है,
बंजारों से ख्वाब.
उड़ता मन अंधकार में,
बंजारों सी ये रात।

जल रही सांस इस जिस्म में,
बंजारों सी है अपनी राख.
उड़ता पँछी आसमान में,
बंजारों सी कर चला हवा से बात.

भौर सवेर आती रही,
फिर आयी दोपहर की लाठ.
गर्मागर्मी हर तरफ है,
बंजारों सी है ये धूप की आँच।

शाम ढले वापिस चला,
बस यही कामगारों की सौगात.
मेहनत मेहनत करता भटक रहा,
बंजारों सा सब पर इच्छायों का श्राप।

रात हुई सब सो गए
करके बंद अपनी मांद,
चोर,लुटेरे सब उठ चले,
बंजारों सा ये फिरे चाँद।

पल पल धरती जल रही,
मची हाहाकार जन्मजात.
तेरी मेरी का धनुष उठा,
बंजारों सी सब ठाठ।

मन के रोगी हुए सब,
लालच का बना काठ.
पहन लालच की टोपी सब,
बंजारों सा करते मिलाप।

मैली बुद्धि इंसान की,
करती कर्म पर घात.
बाजारों सी हो गयी नफरत,
रुके ना किसी चौपात।

भेदभाव हर कूचे पर,
बैठा है फैलाये लात.
सच्चाई की न कोई मंजिल अब
बंजारों सी घूमती फिरती सच
की बारात।

औंधे मुँह गिर रहा
सबके दिल का एहसास.
कलयुग की ना बात पूछ
हो रहा मोहब्बत का नाश।

लूट रहा है साथी अपना,
बनकर दो पल का हमराज़.
नही रहा कोई विस्वास का ठिकाना,
बंजारों सी रेगिस्तान में बरसात।

क्रोध ईष्या के पाठी सब,
पढ़ रहे नफरत दिन रात.
संस्कार की कोई शिक्षा नही,
बंजारों से घूम रहे हर कलम
के एहसास।

नए जोबन की गुमराही है,
चढ़ा आशिक़ी का ताप.
बूढ़े,बच्चे,सब बने मजनू,
आँखों से फिरते जिस्म नाप।

बेईमानी की कोई जड़ नही,
ईमानदारी को रही काट.
पत्ता पत्ता उड़ता फिर रहा,
आग में जल रही शाख।

कहीं मजहबी खून बह रहा,
कहीं लूट रही नारी की लाज.
शैतानों की टोली बन गए इंसान
फैल रहा हर तरफ पाप ही पाप।

कुर्सी कुर्सी करते नेता,
बजाते फिरते झूठ का साज़.
बंजारों से वादे इनके
लूट लूट कर लोगों को करते
खुद पर नाज़

माया माया की धुन में खोया
हर मूरख आदमजात.
बंजारों सा नाचे है
कभी इस डाल कभी उस पात।

पांखड का है आईना सारा
करता अक्ल का विनाश.
नोच नोच के खा रहे अधर्मी,
धर्म के नाम पर नासमझों का मास।

अक्ल बुद्धि बेचकर,
करते फिरते दंगा फसाद.
ये आजकल की जवानी देखो,
चूर नशे में आतंक मचा रहे अपनों
को ही काट काट।

पीड़ा,घृणा में दब रही
हर गरीब की आवाज़.
नंगे पांव भटक रही
मजबूर मजदूर की ज़िंदा लाश।

रोते बच्चे बिल्क रहे,
ना दूध मिले,ना मिटे प्यास.
अच्छे दिनों की अच्छाई देखो,
दौड़ता फिर रहा एक स्टेशन पर लेकर
मुर्दा बच्चे को गोद में बेबस बाप।।
दौड़ता फिर रहा एक स्टेशन पर लेकर
मुर्दा बच्चे को गोद में बेबस बाप।

Language: Hindi
7 Likes · 8 Comments · 563 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैंने बार बार सोचा
मैंने बार बार सोचा
Surinder blackpen
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ अच्छा करने की चाहत है
कुछ अच्छा करने की चाहत है
विकास शुक्ल
"कुछ रिश्ते"
Dr. Kishan tandon kranti
युवा संवाद
युवा संवाद
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
♤⛳मातृभाषा हिन्दी हो⛳♤
♤⛳मातृभाषा हिन्दी हो⛳♤
SPK Sachin Lodhi
शक
शक
Paras Nath Jha
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
Maroof aalam
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
gurudeenverma198
तुझे स्पर्श न कर पाई
तुझे स्पर्श न कर पाई
Dr fauzia Naseem shad
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
वो काल है - कपाल है,
वो काल है - कपाल है,
manjula chauhan
3303.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3303.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
प्रणय गीत --
प्रणय गीत --
Neelam Sharma
*मन का मीत छले*
*मन का मीत छले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
★भारतीय किसान★
★भारतीय किसान★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
नदिया साफ करेंगे (बाल कविता)
नदिया साफ करेंगे (बाल कविता)
Ravi Prakash
परिवार, घड़ी की सूइयों जैसा होना चाहिए कोई छोटा हो, कोई बड़ा
परिवार, घड़ी की सूइयों जैसा होना चाहिए कोई छोटा हो, कोई बड़ा
ललकार भारद्वाज
बचपन का मौसम
बचपन का मौसम
Meera Thakur
कलम वो तलवार है ,
कलम वो तलवार है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"चाह"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
■ बात बात में बन गया शेर। 😊
■ बात बात में बन गया शेर। 😊
*प्रणय प्रभात*
କୁଟୀର ଘର
କୁଟୀର ଘର
Otteri Selvakumar
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
Loading...