◆◆मेरा सफ़र◆◆
मैं जिस राह चला हूँ वो राह अलग है।
हर तरफ काँटे हर तरफ मौत ही मौत है।
दु:ख है दर्द है और हैं काली रातें,
सन्नटा है, अंधेरा है और हैं कुछ अधूरी बातें।
वहाँ सिर्फ ग़म हैं दुश्मन ज्यादा दोस्त कम है।
फूलों की इक़ क्यारी भी नही काँटे बे-सबब हैं।
मेरा ;सफ़र अलग है मेरा मुकद्दर अलग है
मै जिस राह का मुसाफ़िर हूँ वो हर राह सेअलगहै
ताने हैं लोग बेगाने हैं अपने भी वहां अंजाने हैं
हर पग होगा चोटिल , हर पग खून बहाने हैं।
एक सा एक भी दिन नही खुशियाँ मुमकिन नही
मेरा पथ पथरीला है, जिनका कोई साहिल नही।
मेरी पतवार अलग है मेरे बहाव की धार अलग है
मैं जहाँ फँसा हुआ हूँ वो मजधार अलग है।
काफिलानही साथकोई होगा,अकेले चलना होगा
तन्हाई,जुदाई और बेबसी सेहर मोड़मिलना होगा।
भूख और प्यास से नजरें चुरानी पड़ेंगी
मेरे सफर मेंतुमको हरपल मुश्किलें उठानी पडेंगी।