▫️ मेरी मोहब्बत ▫️
तुम पूछते हो ,
मैं नहीं रहूंगा तो तुम कैसे करोगे निस्तार।
तो सुनो तुम ,
मेरी मोहब्ब्त का हो तुम लिखित हस्ताक्षर हो।
तुम से शुरू तुम से अंत,
ये है मेरे जीवन का विस्तार।
आखिर तुमने ले लिया मुझ से इम्तिहान।
हर बार दूंगी मैं ये ही संज्ञान।
मेरी चिता से बार बार निकलेगी पुकार ,
मेरी मोहब्बत का प्रकृति वरदान है तुम्हार ।
चलो आज तुम्हें बांध देती हूं,
बांध देती हूं मेरी आखरी मोहब्बत का नाम,
लिख देती हूं तुम्हारे नाम
मेरे ख्यालों का हर सुबह – शाम।
तुम्हारे नाम से होगा मेरी पहचान।
ननकी पात्रे ‘मिश्री’