"यक्ष प्रश्न है पूछता, धर्मराज है मौन।
Love Is The Reason Behind
महानगर के पेड़ों की व्यथा
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
आज़ सच को भी सच बोल दिया मैंने,
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
नए दौर का भारत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जिंदगी रो आफळकुटौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
अगर कभी किस्मत से किसी रास्ते पर टकराएंगे
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】