"व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोद्धुं समज्जृम्भते ।
मेरी पायल की वो प्यारी सी तुम झंकार जैसे हो,
"बरसाने की होली"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
..कदम आगे बढ़ाने की कोशिश करता हू...*
खुदी में मगन हूँ, दिले-शाद हूँ मैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*जाता देखा शीत तो, फागुन हुआ निहाल (कुंडलिया)*
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
Sharminda kyu hai mujhse tu aye jindagi,
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी