■ दोहा / रात गई, बात गई…
■ नए साल का संदेश-
खोना-पाना, हंसना-रोना, उठना-गिरना, मिलना-बिछड़ना, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद आदि नित्य जीवन के अंग हैं। जिन्हें ईश्वरीय इच्छा मान कर सहजता से स्वीकारना ही जीवन जीने की कला है। हर दिन एक नई ऊर्जा व उत्साह के लिए विगत को मात्र एक सीख मानिए और आगत को श्रेष्ठ व सार्थक बनाने के प्रयास में जुटे रहिए।
【प्रणय प्रभात】