■ ठीक नहीं आसार
■ अनिष्ट के आसार….
मुश्किल से ख़त्म हुए हिंसा व उन्माद का पुनर्जन्म पांच नदियों वाले प्रदेश में फिर हो गया है। सत्ता सियासी चौसर में व्यस्त है। विपक्ष अपनी-अपनी ढपली पर अपने-अपने राग में मस्त है। आम जन आगामी समय की अनहोनी व आशंकाओं से त्रस्त है। मानवता पस्त न हो यह प्रयास कौन करेगा?
【प्रणय प्रभात】