उनसे पूंछो हाल दिले बे करार का।
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
कई खयालों में...!
singh kunwar sarvendra vikram
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जाते-जाते गुस्सा करके,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
प्रशांत सोलंकी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
!! राम जीवित रहे !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था