■ चलते रहो…
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/b825fcec07513bea273895449e54f50f_03c154d56ee0f7c79a3891f0f6ed155a_600.jpg)
#आज_का_मुक्तक
■ चलना पड़ता है…
दिल न चाहे तो भी। कभी अपने तो कभी अपनों के लिए। कभी शौक़ से तो कभी मजबूरी में। यही जीवन की नीति और जगत की रीति भी है शायद।
【प्रणय प्रभात】
#आज_का_मुक्तक
■ चलना पड़ता है…
दिल न चाहे तो भी। कभी अपने तो कभी अपनों के लिए। कभी शौक़ से तो कभी मजबूरी में। यही जीवन की नीति और जगत की रीति भी है शायद।
【प्रणय प्रभात】