छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
ऐतबार कर बैठा
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया