मौत के बाज़ार में मारा गया मुझे।
Kya kahun ki kahne ko ab kuchh na raha,
इन बादलों की राहों में अब न आना कोई
ज़िक्र-ए-वफ़ा हो या बात हो बेवफ़ाई की ,
डा. तेज सिंह : हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ का स्मरण / MUSAFIR BAITHA
हावी दिलो-दिमाग़ पर, आज अनेकों रोग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ लोग घंटों घंटों राम, कृष्ण
*माँ गौरी कर रहे हृदय से पूजन आज तुम्हारा【भक्ति-गीत 】*
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-169💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*