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15 Dec 2022 · 1 min read

■ कविता / पराक्रम के नाम…!

■ ढाका विजय की गौरव गाथा
【प्रणय प्रभात】
सदी बीसवीं साल इकहत्तर,
ढाका विजय मील का पत्थर।
मानवता को साँसें देने,
दानवता से लोहा लेने।
भारत के सैनानी निकले,
पाकिस्तानी फौजी दहले।
धरती काँपी अम्बर काँपा,
कायर ज़ालिम डर कर हांपा।
तीन दिनों में छक्के छूटे,
व्योमवीर दम-खम से टूटे।
ऐसी खिंची शौर्य की रेखा,
महा-समर्पण जग ने देखा।
नत-मस्तक अन्याय हो गया,
तेरह दिन में न्याय हो गया।
मुख काला हो गया बदी का,
जश्न सामने अर्द्ध-सदी का।
जीते खा कर चना-चबेना,
जय भारत जय हिंद की सेना।
अमर शहीदों का वंदन है,
हर जवान का अभिनंदन है।।”
#जय_हिंद, #वंदे_मातरम।

#16_दिसम्बर41071
#52_वाँ_विजय_दिवस

Language: Hindi
1 Like · 281 Views
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