*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
पंक्षी पिंजरों में पहुँच, दिखते अधिक प्रसन्न ।
दुनिया मे नाम कमाने के लिए
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
खतरनाक आदमी / मुसाफ़िर बैठा
कौन पढ़ता है मेरी लम्बी -लम्बी लेखों को ?..कितनों ने तो अपनी
अब ना होली रंगीन होती है...
भूख दौलत की जिसे, रब उससे
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
संगीत................... जीवन है