■ आज की बात…
■ दो टूक…..
उजालों में साथ और अँधेरों में गुम। अगर ऐसे हो तुम, तो रहो अपनी बला से। हम धूप-छांव के खेल को भी समझते हैं और परछाइयों के छल को भी। यह सच आप भी समझ लें, तो बेहतर।।
【प्रणय प्रभात】
■ दो टूक…..
उजालों में साथ और अँधेरों में गुम। अगर ऐसे हो तुम, तो रहो अपनी बला से। हम धूप-छांव के खेल को भी समझते हैं और परछाइयों के छल को भी। यह सच आप भी समझ लें, तो बेहतर।।
【प्रणय प्रभात】