■ आज का शेर
■ शेर का मन्तव्य-
【प्रणय प्रभात】
ऐसा दिमाग़ की दुनिया नहीं केवल दिल की बस्ती में ही मुमकिन है। ये जो दिमाग़ होता है ना, वो ना नमी का अहसास करता है, न किसी की कमी का। यह जज़्बा बस दिल को ही नसीब है। जिसे दिल वाले ही जान सकते हैं।
■ शेर का मन्तव्य-
【प्रणय प्रभात】
ऐसा दिमाग़ की दुनिया नहीं केवल दिल की बस्ती में ही मुमकिन है। ये जो दिमाग़ होता है ना, वो ना नमी का अहसास करता है, न किसी की कमी का। यह जज़्बा बस दिल को ही नसीब है। जिसे दिल वाले ही जान सकते हैं।