आजकल बहुत से लोग ऐसे भी है
मैं जाटव हूं और अपने समाज और जाटवो का समर्थक हूं किसी अन्य स
मैं समुद्र की गहराई में डूब गया ,
*होली : तीन बाल कुंडलियाँ* (बाल कविता)
खुद में, खुद को, खुद ब खुद ढूंढ़ लूंगा मैं,
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
उतर गया प्रज्ञान चांद पर, भारत का मान बढ़ाया
आप जब हमको दिखते हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
Bhut khilliya udwa li khud ki gairo se ,
ख़ुद अपने नूर से रौशन है आज की औरत
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे