■ आज का शेर…
■ आज का शेर…
सुनते थे कि दुआएं मुर्दों में जान फूंक देती थीं। आज लगता है कि मुर्दार हो चुकी दुआओं की सलामती के लिए दुआओं की दरकार है।
【प्रणय प्रभात】
■ आज का शेर…
सुनते थे कि दुआएं मुर्दों में जान फूंक देती थीं। आज लगता है कि मुर्दार हो चुकी दुआओं की सलामती के लिए दुआओं की दरकार है।
【प्रणय प्रभात】