परिस्थितियां बदलती हैं हमारे लिए निर्णयों से
जब तक साँसें चलती है, कोई प्रयत्न कर ले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
प्यारा सा गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जब रात बहुत होती है, तन्हाई में हम रोते हैं ,
*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
दुनिया का सबसे अमीर आदमी होना और दुनिया में अपने देश को सबसे
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे....
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से