-मेरा आक्रोश
– मेरा आक्रोश
कहने को तो आजादीआ गई,
पर बेटियां की आजादी कहां गई???
क्यूं नहीं है आज भी बेटियां आजाद???
अकेली नहीं जाएंगी घर से बाहर
हर मां के यहीं घबराते अल्फाज।
कब मिटेगा मां का ये संताप ?
क्यूं होते रोज- रोज रेप ,गैंगरेप ?
कैसे खत्म होगा ये घिनौना पाप ?
कुछ दरिंदों की वजह से बेटियों
की आजादी संकट में आ गई,
उन दरिंदों की सारी
इंसानियत कहां मर गई ?
हाथरस रेप की घटना जब चल रही,
बलराम में फिर से रेप कहानी घट गई,
अंतरात्मा मेरी झकझोर गई ?
****** ?
गुस्से की भावना सबके मन घर कर गई,
सालो को ! जिन्दा मत छोड़ो,
तड़पा – तड़पा कर दरिंदों को
गर्म पानी में घोलो,
*****?
हर मां से मेरी विनती है !
अपने बेटों को नारी सम्मान सिखाएं,
सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारतको स्वर्ग से सुन्दर बनाएं।
-सीमा गुप्ता