जंग-ए-ज़िंदगी – 1
देखो घड़ी क्या बोल रही है,
जीवन नाम है चलती का।
जो भी रुका है गया वो भंवर में,
नाम मिटा उस हस्ती का।।
गिरना उठना उठ कर चलना,
जीवन का तो खेला है।
रुका जो थक कर रहेगा तनहा,
चलता रहा तो मेला है।
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✍️✍️✍️✍️✍️ by :
? Mahesh ojha
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