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20 Aug 2024 · 2 min read

*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*

ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ
******************
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ,
ਨਾ ਪੀਓ ਕਦੇ ਬੇਹਿਸਾਬ।

माड़ी हुंदी नहीं शराब,
ना पिओ कदे बेहिसाब।

ਕਿੰਨੀ ਭਾਰੀ ਹੋਏ ਚਿੰਤਾ,
ਦੂਰ ਹੋਏ ਮਿੰਟ ਸਕਿੰਟਾ,
ਕੱਮ ਕਦੇ ਹੋਏ ਨਾ ਖਰਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

किन्नी भारी होये चिंता,
दूर होये मिंट स्किंटा,
कम्म होये ना खराब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਪੀਓ ਲਿਮਿਟ ਚ ਹੁਜ਼ੁਰ
ਹੋਏ ਮਿੱਠਾ ਜਿਹਾ ਸਰੂਰ,
ਖਾਓ ਨਾਲ ਮਾਲ ਕਬਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

पिओ लिमिट च हुजूर,
होये मीठा जिहा सरूर,
खाओ नाल माल जनाब,
माड़ी हुंदी नी शराब।

ਐਸੀ ਕੋਈ ਨੀ ਖੁਮਾਰੀ,
ਜਿਹੜੀ ਮੇਟ ਦੇਂ ਬੀਮਾਰੀ,
ਹੋਏ ਪੀਣ ਦਾ ਹਿਸਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੂੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

ऐसी कोई नहीं खुमारी,
जिहडी मेट दे बीमारी,
होये पीन दा हिसाब।
माड़ी हुंदी नही शराब।

ਜਦੋਂ ਦੋ ਪੈਗ ਹੋਣ ਲੱਗੇ,
ਚਿੱਤ ਅੰਬਰਾਂ ਚ ਉੱਡੇ
ਬੰਦਾ ਝੱਟ ਬਣਜੇ ਜਨਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

जदों दो पैग होण लग्गे,
चित अंबरा च उड्डे,
बंदा छट बन जे जनाब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਕਿਹੜੀ ਚੀਜ ਹੈ ਬਣਾਈ,
ਟੁੱਟੇ ਦਿਲਾਂ ਦੀ ਦਵਾਈ,
ਤਾਰੇ ਰਾਵੀ ਤੇ ਚਿਨਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

किहड़ी चीज है बनाई,
टुट्टे दिलां दी दवाई,
तारे रावी ते चिनाब।
माड़ी हुंदी नी शराब।

ਸਾਰੇ ਹੀ ਗਮ ਜਾਣ ਭੁੱਲ,
ਦੁਖ ਤੇ ਦਰਦ ਜਾਣ ਭੁੱਲ,
ਖੁੱਲੇ ਇਸ਼ਕ ਦੀ ਕਿਤਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

सारे ही गम जाण भुल,
दुख दे दरद जाण भुल,
खुल्ले इश्क दी किताब
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਦਾਰੂ ਪੀਓ ਨਾ ਕਦੇ ਅੱਤ,
ਮਾਰੀ ਜਾਂਦੀ ਸਾਰੀ ਮੱਤ,
ਲੱਥ ਜਾਣ ਬੂਟ ਤੇ ਜਰਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੋਂਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

दारु पिओ ना कते अत्त,
मारी जांदी सारी मत्त,
लथ जाण बूट ते जराब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਮਾਰੋ ਗਂਢੇ ਉੱਤੇ ਮੁੱਕ,
ਹੋ ਜਾਓ ਦਾਰੂ ਨਾਲ ਬੁੱਕ,
ਦੂਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਨ ਦੁਆਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

मारो गंढे उत्ते मुक़्क़,
हो जाओ दारू नाल बुक,
दूर हो जांदे न दवाब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਕੱਠੇ ਹੋਣ ਜਦੋਂ ਦੋ ਯਾਰ,
ਪੀਣ ਦਾਰੂ ਨਾਲ ਅਚਾਰ,
ਲੱਗ ਜਾਣ ਭਾਂਵੇ ਜਲਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

कट्ठे होण जदों यार,
पीण दारु नाल अचार,
लग जाण भांवे जलाब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਕੌੜੀ ਹੋਂਦੀ ਮਯਖਵਾਰੀ,
ਪੀਂਦੇ ਮੱਲੋ ਵਾਰੋ ਵਾਰੀ,
ਜਿੱਤ ਲੈਂਦੇ ਸਾਰੇ ਖਿਤਾਬ।
ਮਾੜੀ ਪੀਣੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

कोड़ी होंदी मयखवारी,
पिंदे मल्लों वारो वारी,
जित्त लेंदे सारे ख़िताब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਪੀਵੇ ਬੰਦਾ ਜਿਹੜਾ ਮਾਰੂ,
ਦਾਰੂ ਹੋ ਜਾਵੇ ਉੱਥੇ ਭਾਰੂ,
ਲੱਥੇ ਜਾਵੇ ਮੂੰਹ ਤੋ ਨਕਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

पीवे बंदा जेहड़ा मारू,
दारू हो जावे उत्थे भारू,
लथ जावे मुंह तो नकाब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਅੱਖਾਂ ਹੋ ਜਾਣ ਕਦੋਂ ਲਾਲ,
ਡਿੱਗੇ ਜੇਬ ਚੌਂ ਰੁਮਾਲ,
ਦਿਨੇ ਵੇਖੀ ਜਾਵੇ ਖ਼ਵਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ ।

अक्खा होंदिया न लाल,
डिग्गे जेब विचो रुमाल,
दिने वेखी जावे ख्वाब।
माड़ी हुंदी नहीं शराब।

ਮਨਸੀਰਤ ਪੀਂਦਾ ਆਮ,
ਅੱਧਾ ਸਵੇਰੇ ਅੱਧਾ ਸ਼ਾਮ,
ਪਰ ਨੇੜੇ ਹੋਵੇ ਨਾ ਸ਼ਵਾਬ।
ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।

मनसीरत पिंदा है आम,
अद्धा सवेरे अद्धा शाम,
पर नेड़े होवे ना शवाब।
माड़ी हुंदी नी। शराब।

ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ।
ਨਾ ਪੀਓ ਕਦੇ ਬੇਹਿਸਾਬ।

माड़ी हुंदी नहीं शराब।
ना पिओ कदे बेहिसाब।
********************
ਸੁਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਮਨਸੀਰਤ
ਖੇੜੀ ਰਾਓ ਵਾਲੀ (ਕੈਥਲ)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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