-२.- इंद्र देव कृपा करों !!
इस साल की बरसात,,,,
झर-झर कर क्यों शोर मचा रही है?
अपनी खूबसूरती से किस को लुभा रही हैं??
कौन सुनेगा??
सुना पड़ा सारा गलियारा,
दूर दूर तक भय से उदास चेहरा,
किसी को लगा ठेस गहरा,,,,
खोए-खोए से लोग,
अपने के बिछड़ने का वियोग,
इस साल की बारिश का शीतल नीर,
पीड़ितों की और बढ़ा रहा पीर,
बरखा रानी कैसे करूं मैं तेरा गुणगान,
विचलित कर रहा कोरोना का जो तूफान,
कवि की कलम में भी नहीं रही जान,
शब्दों में से भी खो गए प्राण,
नीरस से लगते भाव श्रृंगार,
इंद्रदेव!! कृपा करें,करो ऐसी बरसात,
अब तो हर किसी को मिले खुशियों की सौगात।
– सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान