जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
जमाना तो डरता है, डराता है।
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Today's Reality: Is it true?
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
"किसान का दर्द"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
*चलो आज झंडा फहराऍं, तीन रंग का प्यारा (हिंदी गजल)*