Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2017 · 1 min read

।। बूँद बन गिरने लगा ।।

★★★
प्रेयसी का प्रेम तपती रेत सा तपने लगा।
तब बुझाने आग प्रियतम मेघ सा सजने लगा।।
★★★
बज उठा संगीत मन में प्रेम धुन की तान पर।
प्रेम की माला सदा मन-मीत अब जपने लगा।।
★★★
है बहुत प्यासी चकोरी प्रियतमा की चाह भी।
बाँह फैली देख बदरा बूँद बन गिरने लगा।।
★★★
है #फ़िजा में रंग बिखरे देख प्रियतम नाम के।
ले मिलन का भाव मन यह बन हवा उड़ने लगा।।
★★★
इक अधूरी सी कहानी पूर्णता की ओर अब।
घन सिमटती प्रियतमा को बाँह में भरने लगा।।
★★★

संतोष बरमैया #जय

253 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कानून?
कानून?
nagarsumit326
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तन्हा क्रिकेट ग्राउंड में....
तन्हा क्रिकेट ग्राउंड में....
पूर्वार्थ
अकेला हूँ ?
अकेला हूँ ?
Surya Barman
मुफ्त की खुशियां
मुफ्त की खुशियां
Kshma Urmila
यूं संघर्षों में पूरी ज़िंदगी बेरंग हो जाती है,
यूं संघर्षों में पूरी ज़िंदगी बेरंग हो जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भारत के बीर सपूत
भारत के बीर सपूत
Dinesh Kumar Gangwar
संसार है मतलब का
संसार है मतलब का
अरशद रसूल बदायूंनी
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
shabina. Naaz
सपने ना बंद आँखो में है ,
सपने ना बंद आँखो में है ,
Manisha Wandhare
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
आर.एस. 'प्रीतम'
तुम्हारे इश्क में इतने दीवाने लगते हैं।
तुम्हारे इश्क में इतने दीवाने लगते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
**** दर्द भरा मुक्तक *****
**** दर्द भरा मुक्तक *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
Ravi Prakash
नैया फसी मैया है बीच भवर
नैया फसी मैया है बीच भवर
Basant Bhagawan Roy
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
Neeraj Agarwal
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
Nitu Sah
प्रभु श्री राम आयेंगे
प्रभु श्री राम आयेंगे
Santosh kumar Miri
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
"समझाइश"
Dr. Kishan tandon kranti
କୁଟୀର ଘର
କୁଟୀର ଘର
Otteri Selvakumar
इज़्ज़त
इज़्ज़त
Jogendar singh
*देखो मन में हलचल लेकर*
*देखो मन में हलचल लेकर*
Dr. Priya Gupta
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
Bindesh kumar jha
अधिकांश लोगों को अपने से
अधिकांश लोगों को अपने से "बेहतर" नहीं, "कमतर" पसंद आते हैं।
*प्रणय*
कल आज और कल
कल आज और कल
Omee Bhargava
6
6
Davina Amar Thakral
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
Loading...