।। बूँद बन गिरने लगा ।।
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प्रेयसी का प्रेम तपती रेत सा तपने लगा।
तब बुझाने आग प्रियतम मेघ सा सजने लगा।।
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बज उठा संगीत मन में प्रेम धुन की तान पर।
प्रेम की माला सदा मन-मीत अब जपने लगा।।
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है बहुत प्यासी चकोरी प्रियतमा की चाह भी।
बाँह फैली देख बदरा बूँद बन गिरने लगा।।
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है #फ़िजा में रंग बिखरे देख प्रियतम नाम के।
ले मिलन का भाव मन यह बन हवा उड़ने लगा।।
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इक अधूरी सी कहानी पूर्णता की ओर अब।
घन सिमटती प्रियतमा को बाँह में भरने लगा।।
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संतोष बरमैया #जय