।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
आओ सब मिल करें आरती,श्री हरि सत्य नारायण की।
तीन लोक के स्वामी श्री हरि, जगदीश्वर भगवान की।।
तीन लोक के सर्जक प्रभु जी, आप ही पालक पोषक हो।
देव दनुज नर नाग और किन्नर,सबके ही प्रभु तोषक हो।।
दुखियों के सब कल्मष हरते, सत्य देव भगवान की।आओ
माया मोह ग्रसित जीव हम, हे नाथ निपट अज्ञानी हैं।
नाना दुखों से घिरे हुए हम, मृत्यु लोक के प्राणी हैं।
दीन जनों के कष्ट मिटाते,दीन बंधु भगवान की।आओ
आर्त हृदय की सुनो प्रार्थना, प्रभु सबका कल्याण करो।
सबका जीवन हो सतमय प्रभु,अंतस का अज्ञान हरो।
सदा चलें हम सदाचरण पर, हमको शक्ति प्रदान करो।।
प्रणव अक्षर में शोभित श्रीहरि, ब्रह्मा शिव भगवान की।।आओ
सृष्टि उतारे नित्य आरती, नील गगन की थाली में
सूर्य चंद्र दो दीप दमकते, आरती जड़े सितारे वाली में
लक्ष्मी सरस्वती और काली, आरती नारायण सतधाम की।आओ
पुष्प पत्र फल फूल लताएं, नाना अन्न धरा की थाली में
शीतल मन्द सुगन्ध गान है,पवन मलय गिरि वाली में
गंगा जमुना करें नीरांजन , पूजन अर्चन की प्याली में
कण कण में वसने वाले प्रभु, बाल कृष्ण और राम की।।
आओ सब मिल करें आरती, श्री हरि सत्य नारायण की।
तीन लोक के स्वामी श्री हरि, जगदीश्वर भगवान की।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी