।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
।।सावन म बैसाख नजर आवत हे।।
घातेच करत हे घाम
जीव ह थर्रावत हे
कुंलर पंखा ले देते,कहिके
डोकरी बड़डावत हे।।
बिन पानी कस मछरी
डोकरी ह हड़बड़ावत हे।
बैसाख के महिना ये,कहिके
अक्ति ल मनावत हे।।
सावन महिना म भोंभरा तिपत
बैसाख नजर आवत हे
घाम के तपई म डोकरी
सावन ल भुलावत हे।।
खदर के कुरिया म घलो
झिल्ली पड़पड़ावत है
सावन ल बैसाख समझ के
अक्ति ल मनावत हे।
सावन म भोंभरा तिपत हे
बैसाख नजर आवत हे
अबुझहीन हे दाई हमर
अड़बड़ सपनावत है
सावन के महिना म घलो
बैसाख नजर आवत हे।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग