फ़ख़्त मेरी चाँद
रात चाँद
इतनी उदास थी
कि आसमाँ से
मुझे ही निहार रही थी;
पर मुझे तो चाहिए
धरती पर कोई चाँद,
जो हो मेरी चाँद !
फ़ख़्त मेरी चाँद !
रात चाँद
इतनी उदास थी
कि आसमाँ से
मुझे ही निहार रही थी;
पर मुझे तो चाहिए
धरती पर कोई चाँद,
जो हो मेरी चाँद !
फ़ख़्त मेरी चाँद !