ज़िन्दगी
वक़्त के रेत फिसल ही जाते हैं
लोग गिरकर सम्भल ही जाते हैं
मुश्तैद हो बुरा दौर चाहे कितना भी
लोग उस दौर से निकल ही जाते हैं
न खुशी मुक्कमल न ग़म मुक्कमल
दो दिनों के मेहमान हैं चल ही जाते हैं
हालात हमेशा एक से नहीं रहते किसी के
बदलना है उन्को बदल ही जाते हैं
ज़िन्दगी जीना सीख लिया जिस ने
फूल न मिले तो काँटों में भी पल ही जाते हैं ।