ज़िन्दगी
ज़िन्दगी कभी हँसाती तो कभी ज़िन्दगी रूलाती है,
फ़ूल भरी राहों में ज़िन्दगी काँटे भी बिछाती है,
खुशियाँ भी देती तो साथ ज़िन्दगी ग़म भी लाती है,
दर्द देके ज़िन्दगी संग हमदर्द भी हमराह बनाती है,
आँसुओ के संग ज़िन्दगी उमंग भी जगाती है,
ख़्वाहिशें देकर ज़िन्दगी तमन्नाओं को जगाती है,
ज़ख़्म भी देती तो ज़िन्दगी ख़ुद मरहम बन जाती है,
ख़्वाब सँजो कर ज़िन्दगी उनकी हसरतें जगाती है,
हसरतों के संग ज़िन्दगी सतरँगी बन जाती हैं।।
मुकेश पाटोदिया”सुर”