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13 Oct 2020 · 1 min read

ज़िन्दगी में हादसा सा हो गया

ज़िन्दगी में हादसा सा हो गया
अजनबी इक हमनवा सा हो गया

पास बैठा हंस रहा था जो मेरे
मैं हंसा तो वो ख़फ़ा सा हो गया

जाने क्या किस्मत में लिक्खा है मेरी
फ़ासलों का सिलसिला सा हो गया

अलविदा कहकर गया है जब से वो
दिल मेरा ये खोखला सा हो गया

ज़ह्’न की दुनिया में इतनी भीड़ है
मैं अकेला क़ाफ़िला सा हो गया

शाम ढलती जा रही आया नहीं
माँ का दिल कुछ बावला सा हो गया

मुफ़लिसों के देखकर ‘आनन्द’ का
दिल दुखी औ’र अनमना सा हो गया

– डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 1 Comment · 209 Views
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