ज़िन्दगी को न यूँ तू नया मोड़ दे
ज़िन्दगी को न यूँ तू नया मोड़ दे
बीच ही राह में मत मुझे छोड़ दे
माना नाकामियों ने हराया बहुत
इसका मतलब नहीं छोड़ तू होड़ दे
झाँक अपने गिरेबाँ में भी तू जरा
ठीकरा सब मेरे नाम मत फोड़ दे
दूर तुझसे न कर दें मुझे आंधियां
रुख हवाओ का आकर जरा मोड़ दे
एक से एक मिल होंगे ग्यारह भी हम
नाम तू साथ अपने मेरा जोड़ दे
‘अर्चना’ खा न जायें तुझे ये कहीं
अपनी खामोशियों को जरा तोड़ दे
25-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद