ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक
रातों की छीनी नींद है, दिन का छीना चैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
चैटिंग करें हैं डूबके, और नहीं है ध्यान।
मन ही मन लड्डू फूटते, पागल जैसा ज्ञान।
आस-पास कुछ होता रहे, भूले सारे पैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
रहे शांति अब तो भीड़ में, अपना-अपना काम।
लीन कहाँ यूँ भगवान में, इंटरनेट प्रणाम।
खाना-पीना भी छोड़ दें, भूख यही दिन-रैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
तन्हाई के अब दिन गए, बीज़ी आठो याम।
जो चाहे इसमें है मिले, सही-गलत इक दाम।
दीवाने इसके सब हुए, अरे लेडीज़-मैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
गलत नहीं है पर अति बुरी, करना सही प्रयोग।
रिश्ते-नाते टूटें नहीं, रखना तुम संयोग।
एक्सीडेन्ट बचाकर चलो, जीवन करना गैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
रातों की छीनी नींद है, दिन का छीना चैन।
ज़ादू व्हाट्सएप फ़ेसबुक, अटके इनमें नैन।।
आर.एस.प्रीतम
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