Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2020 · 1 min read

ज़हर

न जाने क्यों हम इस शहर में अजनबी से हो गए हैं।
कल तक जो थे अपने क्यों पराए से लगने लगे हैं।
क्यों ग़ुमसुम़ सी है वो मस़र्रत की फिज़ां अब ।
क्यों परेशाँ से लगने लगे हैं वो मुस्कुराते से चेहरे अब ।
कल तक जो रहते थे साथ साथ।
क्यों बिखरे बिखरे से लगते कतराते से हैंं आज।
प़शेमाँ हूं क्या ऐसा कुछ हाद़सा गुज़र गया।
जिसने यह कैसा ज़हर लोगों के ज़ेहन में घोल दिया।
जिसने एक दोस्त को दोस्त से अलग कर दिया।
और कल तक जो दुश्मन था उसे दोस्त बना दिया।

3 Likes · 2 Comments · 231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
"पसंद और प्रेम"
पूर्वार्थ
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
मेघ गोरे हुए साँवरे
मेघ गोरे हुए साँवरे
Dr Archana Gupta
न किसी से कुछ कहूँ
न किसी से कुछ कहूँ
ruby kumari
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
कवि दीपक बवेजा
कया बताएं 'गालिब'
कया बताएं 'गालिब'
Mr.Aksharjeet
हम फर्श पर गुमान करते,
हम फर्श पर गुमान करते,
Neeraj Agarwal
*पल में बारिश हो रही, पल में खिलती धूप (कुंडलिया)*
*पल में बारिश हो रही, पल में खिलती धूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* किसे बताएं *
* किसे बताएं *
surenderpal vaidya
नल बहे या नैना, व्यर्थ न बहने देना...
नल बहे या नैना, व्यर्थ न बहने देना...
इंदु वर्मा
फुर्सत नहीं है
फुर्सत नहीं है
Dr. Rajeev Jain
93. ये खत मोहब्बत के
93. ये खत मोहब्बत के
Dr. Man Mohan Krishna
#जी_का_जंजाल
#जी_का_जंजाल
*Author प्रणय प्रभात*
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
"सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"बैठे हैं महफ़िल में इसी आस में वो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पढ़े-लिखे पर मूढ़
पढ़े-लिखे पर मूढ़
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
माँ का घर
माँ का घर
Pratibha Pandey
यह ज़िंदगी
यह ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
Rj Anand Prajapati
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
"चलो जी लें आज"
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
चलते-चलते...
चलते-चलते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
भरोसा सब पर कीजिए
भरोसा सब पर कीजिए
Ranjeet kumar patre
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
Paras Nath Jha
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
Loading...