ग़ज़ल
मात्रा भार =7
000
सुनहरे पल.
न जाएं टल.
अब की अभी,
अभी नहिं कल.
आलस झटक,
काम पर चल.
बदला समय,
इसी संग ढल.
बीते बरस,
भूल वे पल.
जन -गण दुखी,
‘सहज’ दे बल.
-डा.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
DrRaghunath Mishr Sahaj
मात्रा भार =7
000
सुनहरे पल.
न जाएं टल.
अब की अभी,
अभी नहिं कल.
आलस झटक,
काम पर चल.
बदला समय,
इसी संग ढल.
बीते बरस,
भूल वे पल.
जन -गण दुखी,
‘सहज’ दे बल.
-डा.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
DrRaghunath Mishr Sahaj