ग़ज़ल
वाह क्या गीत है।
बिन लड़े जीत है।
क्या रखा झगड़ों में,
प्यार संगीत है।
जीवन में मित्र तो,
जीवन ही प्रीत है।
वर्तमान हाथ में,
गायब अतीत है।
‘सहज’ भविष्य कहाँ,
सिर्फ ‘आज’ मीत है।
@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
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