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18 Dec 2021 · 1 min read

ग़ज़ल

दर्द में हाथ छुड़ाये हुए लोग हैं
उस ख़ुदा के मिलाये हुए लोग हैं

जीने का हर हुनर जानते हैं वो जो
ज़िंदगी के सताये हुए लोग हैं

याद अब उम्र भर आयेंगें ये तुम्हें
क़ुर्बतों में भुलाये हुए लोग हैं

सब उजड़ जायेंगें कल सहर होते ही
एक रात के बसाये हुए लोग हैं

ओस की बूँद सी दे रहे हैं छुअन
हिज़्र के जो जलाये हुए लोग हैं

सुरेखा कादियान ‘सृजना’

2 Likes · 2 Comments · 328 Views
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