$ग़ज़ल
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222/1222/122
शराफ़त की इबादत कीजिएगा
मुहब्बत से मुहब्बत कीजिएगा/1
दिखाए आइना जो ज़िंदगी को
समझ उस्ताद ख़िदमत कीजिएगा/2
दवा बनके दुवा पाओ यहाँ तुम
ख़ुदी पर यूँ इनायत कीजिएगा/3
रहो बसके दिलों में तुम सभी के
यतीमों की हिफाज़त कीजिएगा/4
हमेशा और में ख़ुद को तलाशो
तज़ुर्बा फिर अदालत कीजिएगा/5
निगाहें आपकी सच कह रहीं हैं
ज़ुबाँ से मत ख़िलाफ़त कीजिएगा/6
इबारत ही इरादा तय करे है
इसे ‘प्रीतम’ नफ़ासत कीजिएगा/7
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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