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19 Sep 2021 · 1 min read

$ग़ज़ल

बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122/1122/1122/22

तुम मिरे ही दिल में अब रहते हो पलपल
आपकी नज़्म ग़ज़ल हूँ कहते हो पलपल/1

चैन हो आप हमारा सच कहते हैं हम
तुम लहू बन नश-नश में बहते हो पलपल/2

अर्श से फ़र्श तलक साथ निभाएँगे हम
ये तन्हाई ग़म क्यों अब सहते हो पलपल/3

हर कली फूल बनेगी यह मुमकिन कैसे
दूर हद से उससे क्यों जलते हो पलपल/4

आपका है वह तो हासिल रब से होगा
और के भी हक़ को क्यों छलते हो पलपल/5

ख़ूबसूरत नज़रें हैं दिल भी होगा ही
भूल ऐसी करके क्यों ढलते हो पलपल/6

यार ‘प्रीतम’ दुनिया में सब मिलता है
हौसले से ग़र पथ में चलते हो पलपल/7

# आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

3 Likes · 284 Views
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