$ग़ज़ल
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122/1122/1122/22
तुम मिरे ही दिल में अब रहते हो पलपल
आपकी नज़्म ग़ज़ल हूँ कहते हो पलपल/1
चैन हो आप हमारा सच कहते हैं हम
तुम लहू बन नश-नश में बहते हो पलपल/2
अर्श से फ़र्श तलक साथ निभाएँगे हम
ये तन्हाई ग़म क्यों अब सहते हो पलपल/3
हर कली फूल बनेगी यह मुमकिन कैसे
दूर हद से उससे क्यों जलते हो पलपल/4
आपका है वह तो हासिल रब से होगा
और के भी हक़ को क्यों छलते हो पलपल/5
ख़ूबसूरत नज़रें हैं दिल भी होगा ही
भूल ऐसी करके क्यों ढलते हो पलपल/6
यार ‘प्रीतम’ दुनिया में सब मिलता है
हौसले से ग़र पथ में चलते हो पलपल/7
# आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल