#ग़ज़ल
बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122/1122/22
दिल लिए आज़िम बढ़ता जाए
हर क़दम फ़ाज़िल चढ़ता जाए
शूल भी फूल लगें राहों के
वो हमेशा हँस चलता जाए
आरज़ू हासिल होगी उसको
रूह के आलम रचता जाए
तिश्नगी साहिल पाएगी ही
दिल लिए आतिश जलता जाए
शोर कम सोच अधिक हो जिसकी
आदमी आलिम बनता जाए
यार जो सीख गया मोहब्बत
नूर में हरपल ढ़लता जाए
शेर लिख दाद मिले हरदिल की
प्यार ‘प्रीतम’ दिल भरता जाए
# आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल