$ग़ज़ल
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212/2212
गुरु ज्ञान गंगा जल लगे
पावन उसे हरपल लगे//1
आशीष गुरु का छाँव-सा
लो धूप भी शीतल लगे//2
जीवन दिया माँ-बाप ने
गुरु ज्ञान से मंज़िल लगे//3
गुरु मान मन पुलकित करे
हर पीर का ये हल लगे//4
सतगुरु मिला मालिक मिला
पाहन अड़े शतदल लगे//5
गुरु की कृपा से सब मिला
तूफ़ान भी घायल लगे//6
‘प्रीतम’ हमेशा गुरु मना
मँझधार भी साहिल लगे//7
# आर.एस. ‘प्रीतम’
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