$ग़ज़ल
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ मुख़न्नक मक़सूर
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
बह्र – 221/2122/221/2122
#ग़ज़ल
हँस रोज बोलिए रूठा कीजिए न यारों
ये ज़िंदगी मज़ा है ग़म लीजिए न यारों//1
गिनती के दिन मिले हैं सब प्यार में गुज़ारो
नफ़रत है ज़ह्र भूले भी पीजिए न यारों//2
अवसर नहीं कल में आज में निहारो
इक इंतज़ार में थककर बैठिए न यारों//3
पूजा करें करें सज़दा सामने विज़न के
जीवन सफल बनेगा मन हारिए न यारों//4
सच साथ हो ख़ुदा साथी बन रहे उसी का
झूठी जुबाँ कभी इक पल बोलिए न यारों//5
वादा करो निभाओ हर हाल में हमेशा
दिल तोड़कर किसी का छल दीजिए न यारों//6
‘प्रीतम’ कहे मुहब्बत की बात सीख लें सब
आदत बुरी कभी भी पर सीखिए न यारों//7
#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल