प्रेम पत्र
——ग़ज़ल——
अब अयाँ इश्क़ करता हूँ ऐ जानेमन
ख़त मुहब्बत के लिखता हूँ ऐ जानेमन
जब से देखा हूँ तुमको तभी से सनम
हर घड़ी बस तड़पता हूँ ऐ जानेमन
दिल में बेचैनियाँ आँखों में रतजगे
रात भर तारे गिनता हूँ ऐ जानेमन
आँख हर पल तरसती हैं बस दीद को
रंज़ों-ग़म दर्द सहता हूँ ऐ जानेमन
मेरे बाज़ू से गुज़रे थे उस रोज़ तुम
मैं तभी से महकता हूँ ऐ जानेमन
फिर मिलोगे किसी दिन इसी आस में
जी रहा हूँ, न मरता हूँ ऐ जानेमन
पास आ जाना प्रीतम ये ख़त पढ़ के तुम
आज भी राह तकता हूँ ऐ जानेमन
प्रीतम श्रावस्तवी
मोह०तिलक नगर निकट साईं मंदिर
पोस्ट – भिनगा जनपद-श्रावस्ती
पिन-271831
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