ग़ज़ल
1212 1122. 1212 112/22
ग़ज़ल
बुरा है वक्त ये आओ दुआ की बात करें
ख़ुदा तो सबका है उसकी रज़ा की बात करें
है दूर दर ख़ुदा का जायें हम भी कैसे वहां
करें जो सजदे अगर तो सदा की बात करें
वो साकी अब है नहीं यूँ पिलाये जो होठों से
जो याद उसकी आए तो अदा की बात करें
था अपनों ने भी दिया धोखा हम बतायें तो क्या
हैं बेवफ़ा वो मगर यूँ बफ़ा की बात करें
थी दुश्मनों से की उम्मीद चाहतों की मगर
वो तो हमेशा ही यारब जफ़ा की बात करें
यों हमने उनको भी शिद्दत से ही था चाहा मगर
वो हमको ही मिटा कर अब नफ़ा की बात करें
रहे देते दग़ा वो अपनों को तो प्यार में भी
बतायें क्या वही अब क्यूँ दग़ा की बात करें
सुरेश भारद्वाज निराश
धर्मशाला हिप्र