Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

ज़िंदगी ने इस क़दर रूलाया है
सारे ख्वाबों को हमने जलाया है

ऐसा था हमारी बेबसी का आलम
पतझड़ में भी शाख़ों को हिलाया है

देखो सुक़ून से सोया है वो बच्चा
लगता है उसकी मां ने सुलाया है

ना जाने क्यों रो रही है ये बुढ़िया
मैंने जबसे इसे खाना खिलाया है

मुसलमान महफूज़ नहीं यहां
गद्दार ने यह भ्रम फैलाया है

उसका ही सपोला डसेगा तुझको
दूध जिस सांप को तूने पिलाया है

उसी शहर में बेगाने बने हम
जिसकी गलियों में गुल खिलाया है

………………..

:- आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com

3 Likes · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी आँख में झाँककर देखिये तो जरा,
मेरी आँख में झाँककर देखिये तो जरा,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
The reflection of love
The reflection of love
Bidyadhar Mantry
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
डॉ.सीमा अग्रवाल
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
Dushyant Kumar
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
Ravi Prakash
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
भारत देश
भारत देश
लक्ष्मी सिंह
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
डॉक्टर्स
डॉक्टर्स
Neeraj Agarwal
"लू"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता
कविता
Shweta Soni
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
यादों का थैला लेकर चले है
यादों का थैला लेकर चले है
Harminder Kaur
राह पर चलना पथिक अविराम।
राह पर चलना पथिक अविराम।
Anil Mishra Prahari
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
रुकना हमारा काम नहीं...
रुकना हमारा काम नहीं...
AMRESH KUMAR VERMA
??????...
??????...
शेखर सिंह
💐प्रेम कौतुक-476💐
💐प्रेम कौतुक-476💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ आज का विचार
■ आज का विचार
*Author प्रणय प्रभात*
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
घूर
घूर
Dr MusafiR BaithA
*बिरहा की रात*
*बिरहा की रात*
Pushpraj Anant
3081.*पूर्णिका*
3081.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
अधूरे ख्वाब
अधूरे ख्वाब
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
*****आज़ादी*****
*****आज़ादी*****
Kavita Chouhan
दस लक्षण पर्व
दस लक्षण पर्व
Seema gupta,Alwar
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
बहें हैं स्वप्न आँखों से अनेकों
बहें हैं स्वप्न आँखों से अनेकों
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...