ग़ज़ल
बह्र फ़ायलुन फ़ायलुन फ़ऊ
वज़्न 2 1 2 2 1 2 1 2
दिल बहुत ,ग़म ज़दा हुआ
इश्क़ में, और क्या, हुआ
कट गए , पाँव भीड़ में
तब कहीं , रास्ता हुआ
बा-वफ़ा, बन नही सका
बे-वफ़ा, बे-वफ़ा हुआ
शर्म क्यों, आदमी करे
दौर जब, बे-हया हुआ
लब ज़रा, हस-हँसा, लिये
दर्द फिर, इक नया , हुआ
क्या बतायें, सफ़र तुम्हें
हर कदम, इन्तहां हुआ।