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11 Sep 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

एक साथी मिला आज विश्वास का ,
लौट आया समय हर्ष उल्लास का .

हाथ पीले हुए थे सुता के तभी ,
सेठ ने जब लिया खेत जयदास का .

धूप में तप रही थी धरा जेठ सी ,
आ गया मेघ बिन मास चौमास का .

बेबसी का तिमिर ही उजाला बने ,
दीप मन में जले जब किसी आस का .

अन्त में जीत सच की हुई सर्वदा ,
खोल कर देख लो पृष्ठ इतिहास का .

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