#ग़ज़ल-58
अरक़ान= फ़ाइलुन +फ़ाइलुन+फ़ाइलुन+फ़ा
वज़्न..212-212-212-2
ग़ज़ल
हम मिलें अब चलेंगें सफ़र में
प्यार जागा हुआ दिल ज़िगर में/1
आज हर शै लुभाती लगे है
मौज बसती चले दिल-शहर में/2
दूरियाँ रो रहीं साथ को अब
चाँद जो खिल रहा आज घर में/3
आइए बैठ हम बात कर लें
उठ रही जो सनम इस पहर में/4
आमने-सामने झूठ कुछ क्या
सच वही जो सभी की नज़र में/5
ढूँढने को यहाँ ढूँढ लेते
दाग़ भी लोग नभ के क़मर में/6
वो ख़ुदा जानता है वफ़ा को
खोज़ लेता सितम या क़हर में/7
जाल प्रीतम बिछा है सितम का
जो कटेगा एक दिन समर में/8
-आर.एस.’प्रीतम’