ग़ज़ल:- वजह हो तो बताऐ मुझको मुस्कुराने की।
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र,,,,!!!
ग़ज़ल
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वज़ह हो तो बताऐ मुझको मुस्कुराने की,
मिलती है मोल,दुकान बताऐ किराने की।
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वक्त का पहिया चलता,अपनी ही धुन मे,
व्यर्थ कोशिश न करे कोई उसे हराने की।
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कभी न रही ग़ुलाम, सियासत किसी की
जा के देखे तो जरा, दशा राज घराने की।
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दिल से न खेले कोई मेरे,कहीं टूट न जाऐ,
बेवफ़ा नही मैं,सज़ा न दो दिल चुराने की।
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मैं शरीफ़ो के बाज़ार का, ऐसा सिक्का हूं
चलता हूं हर जगह करो न बात चुराने की।
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मैं बेबाक सा शायर “जैदि” क़दरदाऩो का,
कोई ओर न करे कोशिश, मुझे डराने की।
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शायर:-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”