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3 Jan 2022 · 1 min read

ग़ज़ल:- वजह हो तो बताऐ मुझको मुस्कुराने की।

दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र,,,,!!!

ग़ज़ल
=====

वज़ह हो तो बताऐ मुझको मुस्कुराने की,
मिलती है मोल,दुकान बताऐ किराने की।
=========================

वक्त का पहिया चलता,अपनी ही धुन मे,
व्यर्थ कोशिश न करे कोई उसे हराने की।
=========================

कभी न रही ग़ुलाम, सियासत किसी की
जा के देखे तो जरा, दशा राज घराने की।
=========================

दिल से न खेले कोई मेरे,कहीं टूट न जाऐ,
बेवफ़ा नही मैं,सज़ा न दो दिल चुराने की।
==========================

मैं शरीफ़ो के बाज़ार का, ऐसा सिक्का हूं
चलता हूं हर जगह करो न बात चुराने की।
==========================

मैं बेबाक सा शायर “जैदि” क़दरदाऩो का,
कोई ओर न करे कोशिश, मुझे डराने की।
==========================

शायर:-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”

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